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राष्ट्रवादी भक्ति क्या है ⁉️ या मानी जा सकती है ⁉️ इसके लिए सबसे पहले हमें राष्ट्र को समझना होगा

✒️✒️✒️ कुछ कड़वी बातें ✒️✒️✒️
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राष्ट्रवादी भक्ति क्या है ⁉️ या मानी जा सकती है ⁉️
इसके लिए सबसे पहले हमें राष्ट्र को समझना होगा राष्ट्र कैसे बनता है ⁉️
🅰️ क्षेत्र + धर्म या
🅱️ क्षेत्र + व्यवसाई या
🆎 क्षेत्र + जनता या
🆑 धर्म + नेता
वास्तविक रूप से यदि माना जाए तो राष्ट्र के संसाधन में दो महत्वपूर्ण है ‌। 1️⃣ ‌क्षेत्र 2️⃣ जनता
इन दोनों के बिना राष्ट्र की कल्पना सम्भव नहीं है क्षेत्र और जनता।
इसलिए संविधान में प्रथम भाग 1 में क्षेत्र या भू-भाग का वर्णन है और नाम की प्रतिस्थापना है।।
दूसरे भाग 2 में नागरिकता का वर्णन है यानी जनता।।
इस तरह राष्ट्र का निर्माण क्षेत्र और जनता से हुआ है।।
अब प्रश्न खड़ा होता है राष्ट्र की अखंडता के लिए क्या महत्वपूर्ण है, हथियार, धर्म की भक्ति, या जाती स्थापना, या मानववाद इसके लिए हमें गुलामी की आधारशिला पर चलना होगा।।
हम क्यों दास हुए थे क्यों गुलाम हुए थे
👍🏾 क्या क्षेत्र नहीं था ⁉️
👍🏾 क्या धर्म नहीं था ⁉️
👍🏾 क्या जाति नहीं थी ⁉️
👍🏾 क्या जनता नहीं थी ⁉️
👍🏾 क्या राजा या नेता नहीं थे ⁉️
👍🏾 क्या उद्यमी लोग नहीं थे ⁉️
इसमें आप पाएंगे सबकुछ था पर एक नहीं थी शिक्षित एवं आर्थिक सामाजिक प्रशासनिक राजनैतिक सृदृढ़ जनता नहीं थी
मतलब मजबूत जनता नहीं थी।।
जो थी अशिक्षित, निराशा से भरी हुई, कमजोर, सामाजिक व्यवस्था की बेड़ियों से जकड़ी हुई परिणाम क्या हुआ गुलाम हुए एक गांव के विदेशी कबीले लूट कर चले गए गुलाम बना लिए।। हमारे हथियार और जनता नेता व्यव्साई कोई काम नहीं आ सकें।।
उसका कारण एक ही था सृदृढ़ जनता का अभाव।।
अब प्रश्न खड़ा होता क्या हम उस शिक्षा की ओर बढ़ रहे हैं या वह सामाजिक व्यवस्था का जामा पहनाया जा रहा है या आर्थिक राजनैतिक सामाजिक शैक्षणिक रूप से सुदृढ़ हो रहे हैं।।
या चार व्यव्साई मजबूत हो रहें हैं यही राष्ट्रवाद है।।
वास्तविक राष्ट्रवाद का स्वरूप सृदृढ़ जनता में छुपा हुआ है हम इतने अज्ञानी हैं की इतिहास से कुछ सीखना चाह नहीं रहें बस गलगल पक्षी की तरह हम तो राष्ट्र सर्वोपरि को चुनाव करेंगे बिना जनता सृदृढ़ के आप एक अखंड राष्ट्र बना पाएंगे कल ऐसा सम्भव नहीं हुआ न भविष्य में होगा यदि हमें अखंड राष्ट्र का निर्माण करना है तो मजबूत नागरिक का निर्माण करना होगा।।
जबकि जो प्रक्रिया चालू है जनता सृदृढ़ की नहीं बल्कि चंद लोग धनाढ्य हो जाए कुछ नेता मजबूत हो जाए बस यही राष्ट्रवाद है यही राष्ट्र भक्ति है यह आपकी अज्ञानता है एक दिन आपको दास्तां में पहुंचा देगी।।
वास्तविक राष्ट्रवाद या राष्ट्र भक्ति है तो प्रत्येक नागरिक शैक्षणिक आर्थिक राजनैतिक सामाजिक रूप से सुदृढ़ हो! कल भी धर्म था, मजहब था, पंथ थें, जाती थी, हथियार थे, राजा या नेता थे, व्यव्साई थें सब धरें रह गये और हम गुलाम हो गए।। क्योंकि सृदृढ़ जनता नहीं थी।।
कोई लड़ा अशिक्षित होने से हार गया कोई सामाजिक बेड़ियों में उलझकर रह गया कोई मजहब पथ में अटक गया कोई जाति में उलझ गया।।
आज कुछ नेता तुम्हें उसी बात में उलझा रहें जाति, मजहब, पंथ, धर्म, संस्कृति जबकि इनसे आपको कुछ नहीं हासिल हुआ है न भविष्य में होगा।।
यह स्वशासन के विषय है जबकि आपमें सक्षमता होनी चाहिए अनुशासन और प्रशासन की ।। यह जन्म लेती शिक्षा, अर्थ, समाजिक राजनीतिक सदृढ़ता से ।।
झूठ के राष्ट्रवादी भक्ति से निकलए और वास्तविक राष्ट्र भक्ति की ओर चलिए सभी नागरिक सृदृढ़ हो।। बिना नागरिक सृदृढ़ता के अखंड राष्ट्र की कल्पना करना वेमाइनी होगी। यह ढोंगी नेता आज नेता हैं कल दास्तां के समय सेनापति बन तुम्हारे ऊपर राज करेंगे।। इनको कुछ फर्क नहीं पड़ता है फर्क जनता को पड़ता है।।
इसलिए आजादी की अधिकतर लड़ाइयां जनता द्वारा ही लडी गई है।।
चिंतन करने की आवश्यकता है हम सब ग़लत दिशा की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं।।

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